मंगलवार, 25 सितंबर 2018


अजनबी होते हुए भी उन्होंने हमारी हम से पहचान कराई
ना जानते हुए भी हर बात जानते थे हमारी
ताज्जुब है कि गैर होते हुए भी इतना चाहते थे
चाहते हैं...

यह जानते हुए कि उम्र भर का साथ नहीं
फिर भी चाहत थी अनंत

बिना मिले बिताये कुछ पल साथ में
लगाव था ऐसा कि राज़ी हुए एक दूसरे के साथ के लिए हर हाल में
बेशक पाया एक दूसरे को खतों में...

ख्वाबों ने सांसें ली सिर्फ कुछ ही घड़ियां
फिर भी जी ली तमाम उम्र उन लम्हों में...

कुछ लम्हों की बात थी और फिर बिखर गये अलग राहों पर
लेकिन आज भी जुड़े हुए हैं कहीं ना कहीं बेशुमार यादों के ज़रिये
मंज़िल शायद एक नहीं पर अभी भी दिल तो एक हैं
ऐसा गहरा रिश्ता है आज भी...

हर बात याद आती है उनकी
कहने को तो अत्यंत दूर हैं मगर
नज़दीक हैं दिल के आज भी...




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