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बुधवार, 1 जनवरी 2020


नाराज़गी में अक्सर रिश्ते दूर हो जाते हैं
नाराज़गी में हमेशा रिश्ते तमाम उम्र के लिए टूट जाते हैं
फिर पास आने का कोई भी जरिया नहीं रहता

वक़्त के खाई में हर एक लम्हा जो गिड़ा तेरे इंतज़ार में कभी लौट कर नहीं आएगा
तेरे बगैर गुज़ारा हर एक लम्हा एक सिलसिला बन जाएगा

उदास होगी ज़िन्दगी हर एक बार जब तुम्हे याद कर के
तनहा होगी ज़िन्दगी तुम्हारी गैर मौजूदगी  में
पर न तुम आओगे न हम बुलाएँगे
तबाह हो जाएगी हम्हारी मोहब्बत रिश्तों के शतरंज के खेल में
अहम की हुकूमत होगी दिलों पर
दिल रेहा नहीं होंगे फिर कभी भी

समेट लो इस रिश्ते को वक़्त सरे
न जाने दो इस दिल को तुम्हारे दिल से दूर
मुलाकात की महूलत भी ना मिले बाद में
अभी रोक लो हम्हें 

टूटे हुए दिल जोड़े नहीं जाते
दरारें रह जाती हैं
फासले पड़ जातें हैं
बिखर जाती है ज़िन्दगी
लफ्ज़ खो जाते हैं

टूटे हुए दिल जोड़ नहीं जाते
लफ्ज़ रूठ जाते हैं
जस्बाद कैद हो जाते हैं
चाह कर भी दिल फिर उस तरह नहीं मिलते
चाह कर भी फासले नहीं मिटते
छह कर भी मुस्कुराहटें वापिस नहीं मिलती

टूटे हुए दिल नहीं मानते
टूटे हुए दिल फिर जुड़ना नहीं जानते ...


गुरुवार, 26 दिसंबर 2019


दिल टूटा ही सही पर खाली नहीं हुआ है...
जितना भी तक़दीर चुरा ले इस दिल में सदा बरकत बरकरार रहेगी
दिल टूटा ही सही पर फिर भी आबाद है  ...




हर किसी को जस्बादों की परख़ नहीं
जिन्हें है उन्हें गहरी कीमत अदा करनी होती है  ...
ऐसे ज़ख्म मिलते हैं जो वक़्त के साथ और नासूर हो जाते हैं और ज़माना उन्हें कुरेदता रहता है  ...

  

उन्हें जस्बादों की क़दर नहीं

जस्बाद हैं कागज़ नहीं कि मसल कर फैंक दिया...

यह नहीं जानते या जान कर भी अनजान हैं कि जस्बादों में भी किसी की जान बसी होती है. ...




शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

रिश्ते अक्सर शर्तों पर टिकें होते हैं
हर बार क़र्ज़ चुकाने होते हैं
यहाँ कोई अपना नहीं !

रिश्ते कीमतें मांगते हैं
हर सम्बन्ध  स्वार्थी है !
त्याग और प्यार का कोई अर्थ नहीं
बलिदान का कोई मान नहीं
यहाँ किसी को किसी की परवाह नहीं !

हर कोई गैर है , हर कोई अजनबी है
नज़दीकियां आसान फ़रामोश होजाती हैं
अपने बैगाने हो जाते हैं
यही आज कल की दुनिया का दस्तूर है

अपने ही आज़माइश में डालते हैं
अपने ही बेवफा होते हैं
यही आज कल की दुनिया का सही चेहरा है 

गुरुवार, 4 अक्तूबर 2018

इलज़ाम जो उन पर लगें
खंजर बन कर दिल चीर देता है

जब हमने उन्हें चाहा है बिन शर्तों के
तो औरों को उनसे गिला क्या

आज भी वह हमारे मान हैं
हम मिलें नहीं तो क्या हुआ
फिर भी मोहब्बत ने हमारी ज़िन्दगी में आकर लिया
होते हैं कुछ रिश्ते ऐसे जो बिन मिलें ही बन जातें हैं करीब

और अज़ीज़ हो जाता है वह इंसान अपनों से भी ज़्यादा
मिले बगैर जो बन जाता है अपना
शायद इसी को कहतें हैं अनोखा सम्बन्ध
जिसमें एहसासों की गहराई हो

जो वक़्त नहीं मिटा सका
वह मोहताज नहीं किसी के मर्ज़ी का
ऐसे रिश्ते औरों को क्या समझाएं
जो जनम लेते हैं रब की मर्ज़ी से
और होते हैं अद्वित्य




रविवार, 23 सितंबर 2018


यह इंतज़ार है लम्बा
कुछ ऐसी है परीक्षा जिसमें सवाल और जवाब दोनों हमारे

यह रिश्ता है कैसा जो हर पल आज़माइश मांगे
यह इश्क है कैसा

हमने हमेशा का साथ माँगा था दूरियां नहीं
ना जाने कब यह दुआ क़बूल हो जाए
और किस्मत मेहरबान हो...

उम्मीद अभी भी क़ायम है |



फिक्र


फिक्र करने का हक हम से छीन नहीं सकते

यह भी एक दस्तूर है प्यार का
नज़दीकियां हो तो फिक्र भी होना लाज़मी है

इस जस्बाद को समझने की कोशिश करें

इस जस्बात को सरहाना नहीं तो फिर भी इसका आदर करना सीखें

इस एहसास का मान रखें

अगर हम मायने रखते हैं...
आखिर यह कोई गुनाह तो नहीं
यह तो हमारा प्यार है...
यह तो हमारा हक़ है |

क़दर करें की आज भी आपकी फिक्र है...











गुरुवार, 20 सितंबर 2018


खुश रहने कि भी शर्त  रख दी गई है। .. अब अपने अपनों से भी दूर रहने कि कसम देते हैं...
कैसे रिश्ते कैसे रिशतो की मजबूरियां
कैसे रिश्ते कैसे उनके इम्तिहान
मेहरबानियां या कीमतें
यह तो तारीख ही तय करेगी