बुधवार, 25 दिसंबर 2019

दिल एक खिलौना


रोज़ सोचते रहे कि तुम्हे भूल जाएँ
मगर रोज़ दिल तस्सली देता कि तुम समझोगे दिल की ज़ुबान को। ...
उम्मीद थी कि तुम चाहत की गहराईओं में समा जाओगे
भूल गए थे कि उनको जस्बादों की क्या क़दर होगी जो दिल को एक बेजान खिलौना समझते हैं  ...


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