शब्दों मे ऐसी चिंगारी समायी हुई है कि जो कभी तो जागृति के आरम्भ का कारन बन जाये और कभी तो दिल घायल करने कि तलवार !
यह चिंगारी शब्दों की या दिल मे रौशनी जगा देती है या जला के अन्धेरा कर देति है |
शब्दों को तराशा जाये तो उनके मोल का आभास होता है.... नासमझी मे उन्हें व्यर्थ में खर्च ना दें |यह चिंगारी शब्दों की आसानी से बुझती नहीं !
शायरी तो नस नस में बसी है ...
ज़िन्दगी के हर लम्हों को महसूस और इज़हार करने का एक हसीन ज़रिया है।
शायरी तो हर इंसान के दरमियान है
उससे बस वाकिफ़ होने की ज़रुरत है ...
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