गुरुवार, 20 सितंबर 2018


किस्मतों कि साजिशों ने मोहब्बत से वाकिफ कराते ही , उस पेहचान को ही वक्त के धुएँ मे घुमा दिया। अब बची हैं कुछ यादों की राख।
उनका वजूद भी बाकी नहीं मेरी ज़िंदगी में पर हवाओं के ज़रिए हर सरसराहट पर उन्की याद पैगाम लाती है...
हमारी कहानी का तो कोई नाम ओ निशान नही... उस मोहब्बत का तो कोई अंजाम नही....
फिर भी उनके होने का यह एहसास कैसा। .. उस मोहब्बत से लिप्टी हुई यह फिज़ा की खुशबू  कैसी। 


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