शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

रिश्ते अक्सर शर्तों पर टिकें होते हैं
हर बार क़र्ज़ चुकाने होते हैं
यहाँ कोई अपना नहीं !

रिश्ते कीमतें मांगते हैं
हर सम्बन्ध  स्वार्थी है !
त्याग और प्यार का कोई अर्थ नहीं
बलिदान का कोई मान नहीं
यहाँ किसी को किसी की परवाह नहीं !

हर कोई गैर है , हर कोई अजनबी है
नज़दीकियां आसान फ़रामोश होजाती हैं
अपने बैगाने हो जाते हैं
यही आज कल की दुनिया का दस्तूर है

अपने ही आज़माइश में डालते हैं
अपने ही बेवफा होते हैं
यही आज कल की दुनिया का सही चेहरा है 

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