औरत को हर रिश्ते के क़र्ज़ चुकाने पर मजबूर किया जाता है....
पर कर्ज़दार तो वह हैं जिनके लिए औरत क़ुर्बान कर देती है तमाम ज़िन्दगी कभी माँ तो कभी बेटी बन कर , तो कभी संगिनी या बहन बन कर
यही है औरत का किरदार एक आदमी की ज़िन्दगी में कि उसे मिटना पड़ता है आदमी की ज़िन्दगी में सामने के लिए और सब को आबाद करने के लिए कुयूंकि यह शर्त है ज़माने की…
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