शनिवार, 10 अगस्त 2019


मख़मली राह को ठुकरा कर चले आएं अनजान रास्तों पर
मीलों तक नज़र आता है संघर्षों का रेगिस्तान

प्यास है मंज़िल की
पर दूर तक कोई उम्मीद नहीं
फिर भी इस रास्ते पर ही चलना है

उनके बिना भर गयी ज़िन्दगी काँटों से
अब तो रेशम भी चुबता है…  

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