बुधवार, 1 जनवरी 2020


नाराज़गी में अक्सर रिश्ते दूर हो जाते हैं
नाराज़गी में हमेशा रिश्ते तमाम उम्र के लिए टूट जाते हैं
फिर पास आने का कोई भी जरिया नहीं रहता

वक़्त के खाई में हर एक लम्हा जो गिड़ा तेरे इंतज़ार में कभी लौट कर नहीं आएगा
तेरे बगैर गुज़ारा हर एक लम्हा एक सिलसिला बन जाएगा

उदास होगी ज़िन्दगी हर एक बार जब तुम्हे याद कर के
तनहा होगी ज़िन्दगी तुम्हारी गैर मौजूदगी  में
पर न तुम आओगे न हम बुलाएँगे
तबाह हो जाएगी हम्हारी मोहब्बत रिश्तों के शतरंज के खेल में
अहम की हुकूमत होगी दिलों पर
दिल रेहा नहीं होंगे फिर कभी भी

समेट लो इस रिश्ते को वक़्त सरे
न जाने दो इस दिल को तुम्हारे दिल से दूर
मुलाकात की महूलत भी ना मिले बाद में
अभी रोक लो हम्हें 

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