मंगलवार, 23 मार्च 2021


वह बिन मिले की चाहतें 

वह बिन जाने मोहब्बतों का इज़हार खतों में 

कहाँ से लाएं वही चाहतें 

कहाँ से लाएं वही लम्हें ..   

वक़्त है कि बेवफा हो चला 

वक़्त को यह अब मंज़ूर नहीं। 


बुधवार, 1 जनवरी 2020


नाराज़गी में अक्सर रिश्ते दूर हो जाते हैं
नाराज़गी में हमेशा रिश्ते तमाम उम्र के लिए टूट जाते हैं
फिर पास आने का कोई भी जरिया नहीं रहता

वक़्त के खाई में हर एक लम्हा जो गिड़ा तेरे इंतज़ार में कभी लौट कर नहीं आएगा
तेरे बगैर गुज़ारा हर एक लम्हा एक सिलसिला बन जाएगा

उदास होगी ज़िन्दगी हर एक बार जब तुम्हे याद कर के
तनहा होगी ज़िन्दगी तुम्हारी गैर मौजूदगी  में
पर न तुम आओगे न हम बुलाएँगे
तबाह हो जाएगी हम्हारी मोहब्बत रिश्तों के शतरंज के खेल में
अहम की हुकूमत होगी दिलों पर
दिल रेहा नहीं होंगे फिर कभी भी

समेट लो इस रिश्ते को वक़्त सरे
न जाने दो इस दिल को तुम्हारे दिल से दूर
मुलाकात की महूलत भी ना मिले बाद में
अभी रोक लो हम्हें 

टूटे हुए दिल जोड़े नहीं जाते
दरारें रह जाती हैं
फासले पड़ जातें हैं
बिखर जाती है ज़िन्दगी
लफ्ज़ खो जाते हैं

टूटे हुए दिल जोड़ नहीं जाते
लफ्ज़ रूठ जाते हैं
जस्बाद कैद हो जाते हैं
चाह कर भी दिल फिर उस तरह नहीं मिलते
चाह कर भी फासले नहीं मिटते
छह कर भी मुस्कुराहटें वापिस नहीं मिलती

टूटे हुए दिल नहीं मानते
टूटे हुए दिल फिर जुड़ना नहीं जानते ...


गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

एक औरत अगर फरिश्ता हो तो उस घर में जन्नत  ...
एक औरत अगर ना हो फरिश्ता तो उस घर में जहन्नुम  ...
यह तो आदमी पर निर्भर है कि वोह किसे चुने अपना हमसफर
यह तो वही तय करेगा कि उसे टीका चाहिए या कलंक  ...
तक़दीर एक पल में फैसलों के ज़रिये बदल सकती है
जो एक बार लिख दिया जाए तो बदल नहीं सकता और अगर बदले भी तो वक़्त बीत जाता है
रह जाती है बस तो करवाहट भरी यादें  ...



कई बार दौलत ज़िन्दगी को तो अमीर बना देती है पर दिल को आबाद नहीं करती
कुछ भी नहीं मेरे पास पर यह हौसला और खुशनसीबी तो है कि मेरे रिश्तों और दोस्तों ने मेरी ज़िन्दगी को आबाद कर दिया  ...
कुछ नहीं पर फिर भी दिल से तो अमीर हैं हम  ...




हर चीज़ लफ़्ज़ों पर ही तिकी हुई है और फिर भी हम्हे लफ़्ज़ों की पहचान ही नहीं  ...




दिल टूटा ही सही पर खाली नहीं हुआ है...
जितना भी तक़दीर चुरा ले इस दिल में सदा बरकत बरकरार रहेगी
दिल टूटा ही सही पर फिर भी आबाद है  ...




दिल से अमीर बस चंद लोग ही होते हैं
ज़िन्दगी उन्हें फकीर बना देती है पर उन्हें खुद पर नाज़ होता है  ...




हर किसी को जस्बादों की परख़ नहीं
जिन्हें है उन्हें गहरी कीमत अदा करनी होती है  ...
ऐसे ज़ख्म मिलते हैं जो वक़्त के साथ और नासूर हो जाते हैं और ज़माना उन्हें कुरेदता रहता है  ...

  

उन्हें जस्बादों की क़दर नहीं

जस्बाद हैं कागज़ नहीं कि मसल कर फैंक दिया...

यह नहीं जानते या जान कर भी अनजान हैं कि जस्बादों में भी किसी की जान बसी होती है. ...





शायरी तो नस नस में बसी है ...
ज़िन्दगी के हर लम्हों को महसूस और इज़हार करने का एक हसीन ज़रिया है।
शायरी तो हर इंसान के दरमियान है
उससे बस वाकिफ़ होने की ज़रुरत है  ...